अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की आयु में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। अभिनेता को खासतौर पर अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है। उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोज कुमार के निधन को देश के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘महान अभिनेता और फिल्मकार मनोज कुमार के निधन से बहुत दुख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें खास तौर पर उनकी देशभक्ति और उनके जोश के लिए याद किया जाता था। यह उनकी फिल्मों में भी झलकता था। मनोज जी के कामों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और वे पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।’
24 जुलाई, 1937 को अमृतसर (पंजाब) में हरिकृष्ण गोस्वामी के रूप में जन्मे मनोज कुमार ने हिंदी सिनेमा में अपने लिए एक अलग पहचान बनाई। ‘शहीद’, ‘उपकार’ और ‘रंग दे बसंती’ जैसी फिल्मों में उनकी प्रतिष्ठित भूमिकाएं देशभक्ति की भावनाओं से गहराई से जुड़ी थीं। अपने पूरे करियर के दौरान मनोज कुमार राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना पर आधारित फिल्मों में अपने अभिनय और निर्देशन दोनों के लिए जाने जाते थे।
भारतीय सिनेमा में मनोज कुमार के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और कई श्रेणियों में सात फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। कला क्षेत्र में उनके अपार योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया। उनकी विरासत में चार चांद तब लगे, जब 2015 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है।
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