Sitapur Water Tank Collapsed: जल जीवन मिशन की टंकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी, 20 हजार लीटर पानी के साथ भरभराकर गिरी
सीतापुर (उत्तर प्रदेश): यूपी के सीतापुर जनपद की महमूदाबाद तहसील के ब्लॉक पहला की ग्राम पंचायत चुनका में जल जीवन मिशन योजना के तहत बनी नवनिर्मित पानी की टंकी गुरुवार को अचानक भरभराकर गिर गई। इस हादसे ने न केवल सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।
💧 20 हजार लीटर पानी से भरी थी टंकी
टंकी के गिरते समय उसमें लगभग 20,000 लीटर पानी भरा हुआ था। गनीमत यह रही कि घटना के समय कोई व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था, वरना बड़ी जनहानि हो सकती थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस पानी की टंकी के नीचे अक्सर ग्रामीण गर्मी से राहत पाने के लिए बैठते या लेटते थे।
🏗️ 531.50 लाख की लागत, फिर भी गुणवत्ताविहीन निर्माण?
जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत बनी इस पानी की टंकी पर 531.50 लाख रुपये खर्च किए गए थे। टंकी से 8 गांवों के लगभग 6000 लोगों को पानी की सप्लाई की जाती थी। हादसे में टंकी से जुड़े पैनल भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। यह टंकी पिछले चार महीनों से पानी आपूर्ति का प्रमुख स्रोत बनी हुई थी।
🛑 स्थानीय विधायक और नेताओं ने जताई नाराजगी
महमूदाबाद विधायक आशा मौर्या ने घटना का संज्ञान लेते हुए कहा कि—
“गुणवत्ताविहीन निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई होगी। मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात कर इस पूरे मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग करूंगी।”
वहीं पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह वर्मा ने इस दुर्घटना को “भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण” बताते हुए कहा कि—
“ना तो आंधी थी, ना तूफान, फिर भी टंकी ढह गई। ये टंकी नहीं, सरकार के ज़ीरो टॉलरेंस की पोल है। इसमें जल निगम, ठेकेदार, पेटी डीलर—सभी शामिल हैं।”
🗣️ ग्राम प्रधान प्रतिनिधि का बयान
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राजाराम ने भी हादसे को गंभीर मानते हुए कहा—
“गांव में बड़ा हादसा टल गया। रोज़ाना लोग इस टंकी के नीचे बैठते थे। टंकी गिरने की वजह शायद घटिया सामग्री, मानकहीन निर्माण और ठेकेदार की लापरवाही हो सकती है।”
📌 निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं देने के लिए चलाई जा रही हैं। लेकिन इस तरह की घटनाएं सरकारी योजनाओं में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार और गुणवत्ता की अनदेखी को उजागर करती हैं। सवाल यह है कि क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य हादसों की तरह फाइलों में दब जाएगा?
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