June 14, 2025

एप्पल का बड़ा कदम: $900 मिलियन के टैरिफ प्रभाव के बाद भारत में मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार

नई दिल्ली, 6 मई 2025 — दुनिया की अग्रणी टेक कंपनी Apple Inc. ने अपने वैश्विक आपूर्ति शृंखला (Global Supply Chain) में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारत में मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार करने की घोषणा की है। यह निर्णय मुख्य रूप से $900 मिलियन अमेरिकी टैरिफ प्रभाव की प्रतिक्रिया में लिया गया है, जिसने Apple की उत्पादन लागत और पश्चिमी देशों में डिवाइसेज़ की कीमतों को प्रभावित किया है।

📦 टैरिफ और व्यापार नीति का असर

हाल ही में अमेरिका और चीन के बीच बढ़े व्यापारिक तनाव और उच्च टैरिफ दरों के कारण Apple जैसी कंपनियों पर भारी वित्तीय दबाव पड़ा है। चीन में निर्माण पर बढ़े शुल्क से Apple की लागत में काफी वृद्धि हुई, जिससे वह वैकल्पिक उत्पादन केंद्रों की तलाश में था।

🇮🇳 भारत: नया मैन्युफैक्चरिंग हब

Apple अब भारत को एक दीर्घकालिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देख रहा है। कंपनी पहले ही Foxconn, Pegatron, और Wistron जैसे साझेदारों के माध्यम से भारत में iPhone और अन्य डिवाइसेज़ का उत्पादन कर रही है। इस विस्तार के तहत:

  • भारत में उत्पादन क्षमता में 30% तक वृद्धि की जाएगी

  • अगले दो वर्षों में 50,000 से अधिक स्थानीय नौकरियों के सृजन की संभावना है

  • Apple अब भारत को न केवल निर्माण, बल्कि निर्यात केंद्र के रूप में भी विकसित करना चाहता है

🌍 वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव

इस कदम से Apple की वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक विविध, लचीला और टैरिफ-प्रतिरोधी बनाया जा रहा है। कंपनी अब चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है ताकि भविष्य में व्यापारिक अस्थिरता से बचा जा सके।

💵 पश्चिमी बाजारों में असर

भारत में निर्माण लागत तुलनात्मक रूप से कम है, जिससे Apple अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों को अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में स्थिर रख सकता है। इससे उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा।

🗣️ सरकारी सहयोग और प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने ‘Make in India’ और ‘PLI स्कीम’ के तहत Apple के इस कदम का स्वागत किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा,

“Apple का भारत में निवेश हमारे देश के तकनीकी विकास और वैश्विक आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा।”


निष्कर्ष:

Apple का यह निर्णय सिर्फ एक व्यावसायिक रणनीति नहीं, बल्कि भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। इससे देश में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि भारत को एक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण शक्ति बनने में भी मदद मिलेगी।

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