उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एक ऐसा बयान दिया है, जिससे 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के संभावित गठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। मसूद ने कहा, “इस बार यूपी में 80-17 का फॉर्मूला नहीं चलेगा। अगर पार्टी को खड़ा करना है तो अपने पैरों पर खड़ा करना होगा। हमें बैसाखी की जरूरत क्यों पड़े? हम भिखारी नहीं हैं जो भीख में कुछ मांगें।”
🏛️ “कांग्रेस को बैसाखी की जरूरत नहीं”
मसूद ने दोहराया कि कांग्रेस अब अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और पार्टी को किसी सहारे की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “2024 में वोट राहुल गांधी के नाम पर पड़ा है। मैं सांसद बना हूं राहुल गांधी के नाम पर, किसी और के नहीं।” उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन करना है या नहीं, यह पार्टी नेतृत्व तय करेगा, लेकिन कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके राजनीति नहीं हो सकती।
🧱 संगठन निर्माण पर ज़ोर
मसूद ने यूपी में कांग्रेस की तैयारियों पर बात करते हुए कहा कि पार्टी का फोकस बूथ लेवल पर संगठन को मज़बूत करने पर है। “हम कांग्रेस को उसके पुराने स्वरूप में वापस लाने की जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। अगर कोई समझता है कि कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं हैं, तो जिला पंचायत चुनाव और आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें जवाब मिलेगा।”
❌ पीडीए पर हमला – “मुसलमान कहां हैं?”
इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को उनके पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर भी घेरा। उन्होंने कहा, “पीडीए में मुसलमान कहां हैं? हमें अल्पसंख्यक क्यों कहा जा रहा है? हम मुसलमान क्यों नहीं हैं? आपको हमारा नाम लेने में शर्म क्यों आती है?”
🔚 निष्कर्ष
इमरान मसूद का यह बयान साफ संकेत देता है कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में अपने दम पर संगठनात्मक ताकत के साथ उतरने की योजना बना रही है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि गठबंधन की रणनीति अब एकतरफा नहीं होगी और संवेदनशील मुद्दों पर नेतृत्व को खुलकर सवालों का सामना करना होगा।
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