राज ठाकरे का बड़ा बयान: ‘ठाकरे-पवार ब्रांड को खत्म करने की कोशिश, लेकिन ये मुमकिन नहीं’
मुंबई, 24 मई 2025:
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य की राजनीति में एक बड़ा बयान देकर हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र से ‘ठाकरे’ और ‘पवार’ ब्रांड को खत्म करने की साजिश चल रही है, लेकिन यह ब्रांड कभी खत्म नहीं होगा। उनके इस बयान को अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना माना जा रहा है।
🔸 ठाकरे-पवार ब्रांड पर टिप्पणी
‘मुंबई तक’ के एक कार्यक्रम में जब राज ठाकरे से पूछा गया कि महाराष्ट्र की राजनीति में दो उपनाम – ठाकरे और पवार ही सबसे ज्यादा प्रभावशाली क्यों हैं, और क्या आज के राजनीतिक परिदृश्य में इन्हें कमजोर करने की कोशिश हो रही है? इस पर राज ठाकरे ने कहा:
“इसमें कोई विवाद नहीं है कि ठाकरे-पवार ब्रांड को खत्म करने की कोशिश हो रही है। जरूर हो रही है, लेकिन यह ब्रांड कभी खत्म नहीं होगा।”
इस बयान से उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे और पवार परिवार की प्रासंगिकता बनी रहेगी।
🔸 हिंदी भाषा को लेकर सरकार से टकराव
हाल ही में नई शिक्षा नीति के तहत महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने का प्रस्ताव दिया था। इस पर राज ठाकरे ने कड़ा विरोध जताया और स्पष्ट कहा कि वह महाराष्ट्र में हिंदी थोपने की अनुमति नहीं देंगे।
जनता के दबाव और राज ठाकरे के विरोध के बाद, सरकार को पीछे हटना पड़ा और हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले को रोक दिया गया।
🔸 क्या एक होंगे राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे?
पिछले कुछ समय से चर्चा है कि राज ठाकरे और शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे एक साथ आ सकते हैं। दोनों नेताओं के बीच रिश्तों में नरमी के संकेत देखे गए हैं।
शिवसेना (UBT) के मुखपत्र ‘सामना’ में दावा किया गया था:
“अगर राज ठाकरे बीजेपी और एकनाथ शिंदे से दूरी बनाते हैं, तो उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच कोई बड़ा मतभेद नहीं रह जाता।”
‘सामना’ ने यह भी लिखा कि राज ठाकरे हमेशा मराठी अस्मिता की बात करते आए हैं और यही कारण है कि दोनों नेताओं की विचारधारा में मूलभूत साम्य है।
🔎 राजनीतिक विश्लेषण: क्या होगी अगली चाल?
राज ठाकरे के इस बयान को ऐसे समय में देखा जा रहा है जब महाराष्ट्र में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो चुकी हैं। ठाकरे और पवार ब्रांड को लेकर हो रही चर्चाएं यह संकेत देती हैं कि मराठी मतदाता अब भी क्षेत्रीय नेताओं के नेतृत्व में भरोसा रखते हैं।
अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आते हैं, तो यह गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी और शिंदे गुट के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
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