MAAsterG योगा से योग की यात्रा: शरीर से आत्मा तक का सफर
आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है।
पूरा विश्व आज योग का उत्सव मना रहा है। जब से संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मान्यता दी है, तब से पूरी दुनिया में योग दिवस की धूम मच गई है।
लेकिन सवाल यह है — योगा है क्या?
योगा केवल शरीर की क्रियाओं से जुड़ा हुआ नहीं है, यह एक समग्र अनुभव है। इसे ऐसे समझिए जैसे आपकी कार की सर्विसिंग होती है। जब आपकी गाड़ी खराब होती है, तो आप सर्विस सेंटर जाते हैं। ठीक वैसे ही, यह शरीर भी एक वाहन है, जिसकी समय-समय पर “ओवरऑलिंग” जरूरी है। आज अस्पतालों में लंबी कतारें हैं, हर तरफ बीमारियाँ हैं। पिछले 40 वर्षों में जितने अस्पताल बने हैं, उतनी ही तेजी से रोग भी बढ़े हैं।
ऐसे में योगा, यानी शरीर को स्वस्थ रखने की एक पुरातन विधा, हमें फिर से सिखाई जा रही है।
🧘♂️ योगा और योग: एक फर्क जो समझना ज़रूरी है
जब हम “योगा” कहते हैं, तो हमारे मन में ऋषि-मुनियों की छवि आती है — खासतौर पर महर्षि पतंजलि, जिन्होंने इस विद्या को सूत्रबद्ध किया। लेकिन ध्यान दीजिए:
“योगा” शब्द “योग” से आया है, “योग” शब्द “योगा” से नहीं।
पतंजलि जब गुफा में ध्यान के लिए गए, तो वे योगा नहीं कर रहे थे — वे योग में लीन थे।
योग का मतलब है — आत्मा का परमात्मा से मिलन।
जब आत्मा परम ऊर्जा से जुड़ती है, तो हमारे शरीर में शक्ति का संचार होता है। यह ऊर्जा शरीर के हर कोने में फैलती है और रोगों को स्वतः ही ठीक करने लगती है। आज समस्या यह है कि हम उस परम स्रोत से कट चुके हैं।
🧠 क्यों अधूरा है योगा, अगर योग नहीं?
आज हम योगा करेंगे — शरीर की कसरतें, प्राणायाम, आसन।
पर क्या यही सब कुछ है?
शरीर केवल 30–40% तक ही ठीक होता है इनसे।
बाकी का स्वास्थ्य उस ऊर्जा पर निर्भर है जो मानसिक और आत्मिक होती है।
आज डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, क्योंकि हम अपने मन और चेतना को बार-बार फालतू विचारों, स्क्रीन टाइम, मोबाइल और कंप्यूटर में गँवा रहे हैं।
हमने निर्जीव वस्तुओं को जीवित मान लिया है, जबकि सच्चा जीवन तो इस चेतन शरीर में है।
🔋 जीवन का असली ऊर्जा स्रोत
मोबाइल और कंप्यूटर में कृत्रिम ऊर्जा है।
पर हमारे शरीर में चेतना है — परम ऊर्जा का अंश।
अगर आप इस चेतना को जाग्रत करते हैं, तो शरीर स्वतः ही स्वस्थ होने लगता है।
पतंजलि योग में गए थे, योगा अपने आप घटित हुआ।
🙏 आज योगा डे पर याद रखें — योग ही मूल है
आज के दिन केवल आसनों तक सीमित न रहें।
योग की ओर लौटें।
उस पिता को याद करें, उस आत्मा को, उस परमात्मा को, जो इस शरीर को चला रहा है।
अगर योग होगा, तो योगा अपने आप होगा।
योगा शरीर की कसरत है,
योग आत्मा की क्रिया है।
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