पटना, 8 जून 2025 – बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने देश की प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं को “निष्प्रभावी” और “भरोसे के लायक नहीं” बना दिया है। यह बयान उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में दिया, जो आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और विपक्ष की एकजुटता के संदर्भ में बेहद अहम माना जा रहा है।
🔹 “लोकतंत्र को खोखला किया जा रहा है”
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि लोकतंत्र के चार स्तंभ – न्यायपालिका, चुनाव आयोग, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) – अब निष्पक्षता से दूर हो चुके हैं। उन्होंने कहा:
“CBI और ED अब केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहे हैं। विरोधियों को डराने और बदनाम करने का उपकरण बन चुके हैं ये संस्थान।”
🔹 “चुनाव आयोग पर भी उठे सवाल”
तेजस्वी ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्न उठाए। उन्होंने दावा किया कि चुनाव की तिथियों और आदर्श आचार संहिता का निर्णय अब निष्पक्षता से नहीं लिया जाता, बल्कि राजनीतिक लाभ को देखते हुए किया जाता है।
🔹 “न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी खतरे में”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के ट्रांसफर और नियुक्तियों को लेकर भी चिंता जताई। उनके अनुसार, सरकार के पक्ष में फैसलों को बढ़ावा देने और असहमति को दबाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
🔹 “संविधान के साथ खिलवाड़”
तेजस्वी यादव ने कहा कि यह सिर्फ संस्थानों पर हमला नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधान, उसकी आत्मा और लोकतांत्रिक परंपराओं पर सीधा आघात है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इन मुद्दों पर जागरूक हों और सत्ता के अहंकार को चुनौती दें।
🔚 निष्कर्ष:
तेजस्वी यादव का यह बयान भाजपा के खिलाफ विपक्षी मोर्चे की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाकर राजनीतिक बहस को और तीखा कर दिया है। आगामी चुनावों में यह बयान एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है – कि क्या सच में भारत के लोकतांत्रिक संस्थान अब निष्प्रभावी हो गए हैं?
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