June 15, 2025

दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूल DPS द्वारका में बच्चों की एंट्री पर बाउंसरों की तैनाती, शिक्षा माफियाओं की दादागिरी चरम पर

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नई दिल्ली – राजधानी दिल्ली में शिक्षा को लेकर एक हैरान करने वाला और निंदनीय मामला सामने आया है। DPS द्वारका, जो देश के प्रतिष्ठित स्कूलों में गिना जाता है, वहां स्कूल प्रशासन ने 34 छात्रों को स्कूल से बाहर निकाल दिया है, और अब स्कूल के मुख्य गेट पर बाउंसर तैनात कर दिए गए हैं। यह बाउंसर न तो किसी वीआईपी की सुरक्षा के लिए हैं, और न ही स्कूल परिसर की रक्षा के लिए। बल्कि, इनका मकसद है – छात्रों को स्कूल में घुसने से रोकना

छात्रों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई?

स्कूल प्रशासन की इस कार्यवाही को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि यह पूरा घटनाक्रम शिक्षा माफियाओं और राजनीतिक संरक्षण के चलते हो रहा है। स्थानीय अभिभावकों और नागरिक संगठनों का कहना है कि बच्चों को स्कूल में प्रवेश से रोकना न केवल शैक्षणिक अधिकारों का हनन है, बल्कि यह बच्चों की मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

क्या शिक्षा अब मुनाफे और दबाव का माध्यम बन चुकी है?

जिस स्कूल को बच्चों के सर्वांगीण विकास का केंद्र होना चाहिए, वह अब धमकी, भय और वंचना का प्रतीक बनता जा रहा है। DPS जैसे स्कूलों द्वारा बच्चों को बाहर निकालना और फिर प्रवेश से रोकने के लिए बाउंसर तैनात करना यह दर्शाता है कि अब शिक्षा मूल अधिकार नहीं, बल्कि व्यापार और दबाव का साधन बन चुकी है।

सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में

यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब दिल्ली में कई निजी स्कूल फीस वृद्धि, मनमाने फैसलों और प्रशासनिक मनमानी के आरोपों से घिरे हुए हैं। आम लोगों का कहना है कि सरकार अब जनता की नहीं, बल्कि माफियाओं की सरकार बनती जा रही है, जहां अभिभावकों और बच्चों की आवाज अनसुनी रह जाती है।


🔍 प्रमुख बिंदु:

  • DPS द्वारका ने 34 बच्चों को स्कूल से निकाला

  • छात्रों को स्कूल में प्रवेश से रोकने के लिए बाउंसर तैनात

  • शिक्षा माफिया और राजनीतिक संरक्षण का आरोप

  • अभिभावकों में आक्रोश, बच्चों के अधिकारों पर चोट

  • दिल्ली में शिक्षा का निजीकरण और मुनाफाखोरी चरम पर

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