दिल्ली में बीजेपी सरकार ने पूर्व केजरीवाल सरकार के एक नियम में बदलाव किया है. वर्तमान सरकार ने ऑटो और टैक्सी चालकों के लिए एक खास बदलाव किया है. दिल्ली सरकार ने 2019 से लागू निशुल्क फिटनेस जांच सुविधा को खत्म कर दिया है. अब ऑटो और टैक्सी मालिकों को अपनी गाड़ियों की फिटनेस जांच के लिए पैसे देने होंगे. यह निर्णय 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो चुका है. इससे लगभग 50,000 टैक्सी और एक लाख से अधिक ऑटो रिक्शा मालिक प्रभावित होंगे.
सितंबर 2019 में, तत्कालीन दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ऑटो और काली-पीली टैक्सियों की फिटनेस जांच शुल्क को माफ कर दिया था. इससे पहले, ऑटो रिक्शा के लिए 200 रुपये और टैक्सियों के लिए 400 रुपये का शुल्क लिया जाता था. यह निर्णय विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले लिया गया था. इससे ऑटो और टैक्सी चालकों को आर्थिक राहत मिली थी.
दिल्ली में क्या की गई नई व्यवस्था?
जो नई व्यवस्था की गई है उसके तहत, अब ऑटो और टैक्सी मालिकों को फिटनेस जांच के लिए 300 रुपये देने होंगे. इसके अलावा, फिटनेस जांच में देरी होने पर प्रतिदिन जुर्माने की राशि को भी बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है. इससे पहले यह 20 रुपये प्रतिदिन थी.
चालक यूनियनों ने क्या कहा दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर?
दिल्ली सरकार के इस निर्णय के खिलाफ ऑटो और टैक्सी चालक यूनियनों ने विरोध जताया है. ऑल दिल्ली ऑटो-टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा का रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले चालकों को सुविधाएं देने का वादा किया था, लेकिन अब उन पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है. उन्होंने परिवहन विभाग के अधिकारियों से मुलाकात करने के लिए वक्त मांगा है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.
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