June 15, 2025

इमरान मसूद का बड़ा बयान—2027 में बसपा-कांग्रेस गठबंधन की वकालत, सपा से बढ़ती दूरी पर उठे सवाल

UP Politics: इमरान मसूद का बड़ा बयान—2027 में बसपा-कांग्रेस गठबंधन की वकालत, सपा से बढ़ती दूरी पर उठे सवाल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। कांग्रेस नेता और सांसद इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर कांग्रेस सपा से अलग होकर चुनाव लड़ेगी, तो पार्टी का प्रदर्शन बेहतर होगा। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2027 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ संभावित गठबंधन की वकालत कर एक नई बहस छेड़ दी है।

📌 मुख्य बिंदु:

  • इमरान मसूद बोले: कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े तो बेहतर प्रदर्शन।

  • 2027 में बसपा से गठबंधन का सुझाव।

  • सपा-कांग्रेस गठबंधन पर नए सिरे से सवाल।

  • मायावती ने पहले ही किसी भी गठबंधन से इनकार किया है।

  • बसपा में आकाश आनंद की वापसी के बाद नया राजनीतिक समीकरण संभव।


🗣️ “कांग्रेस को बैसाखी की जरूरत नहीं” — इमरान मसूद

इमरान मसूद ने बयान देते हुए कहा कि कांग्रेस को यूपी में किसी गठबंधन की जरूरत नहीं है, और पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में जीत हासिल की है। उन्होंने कहा:

“कांग्रेस को किसी बैसाखी की जरूरत नहीं है, हम अपने दम पर चुनाव लड़ सकते हैं।”

इस बयान के बाद इंडिया गठबंधन में दरार की अटकलें तेज हो गई हैं।


🤝 बसपा के साथ गठबंधन की संभावना

इमरान मसूद ने कहा कि कांग्रेस और बसपा का गठबंधन हो सकता है, बशर्ते कि बसपा इसके लिए तैयार हो। उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इस दिशा में सोचना चाहिए।
हालांकि, जानकारों का मानना है कि बसपा और कांग्रेस का गठबंधन राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है, लेकिन व्यवहारिक रूप से यह गठबंधन कई अड़चनों से घिरा हुआ है।


🧩 सपा-कांग्रेस संबंधों में आई दरार?

पिछले कुछ समय से सपा और कांग्रेस नेताओं के बीच बयानबाजी तेज रही है। कभी अखिलेश यादव द्वारा कांग्रेस पर निशाना साधा गया, तो कभी कांग्रेस की ओर से सपा की रणनीति पर सवाल उठे।
इमरान मसूद का ताज़ा बयान इस दूरी को और भी स्पष्ट करता है, जिससे साफ है कि 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस अपनी अलग रणनीति पर काम कर रही है।


📉 क्या बसपा के लिए खोलेगा नया मौका?

विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस सपा से अलग होती है, तो इसका सीधा फायदा बसपा को मिल सकता है। हालांकि मायावती पहले ही कई बार यह कह चुकी हैं कि अब वह किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
उन्होंने स्पष्ट किया था कि ऐसे गठबंधनों से बसपा को फायदा नहीं, बल्कि नुकसान हुआ है।


🔄 आकाश आनंद की सक्रियता से बसपा को संजीवनी?

बसपा में आकाश आनंद की वापसी के बाद पार्टी में नया जोश देखा जा रहा है। उन्हें युवाओं को जोड़ने और संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। अगर कांग्रेस और बसपा के बीच समझदारी बनती है, तो यूपी की राजनीति में एक नई धुरी उभर सकती है। लेकिन मायावती का अतीत का अनुभव और गठबंधन को लेकर उनका रुख इसे कठिन बना देता है।

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