उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव साल 2027 में होना है. इससे पहले समाजवादी पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. नेताओं के बयान को दरकिनार कर दें तो अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों दल एक साथ साल 2027 का चुनाव लड़ेंगे या नहीं. हालांकि सपा और कांग्रेस दोनों ही एक साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं.
गुजरात में कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान जहां यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय ने बस्ती में आदर्श उपाध्याय की कथित पुलिस की पिटाई से मौत का मामला उठाया तो वहीं सपा, विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी पर आग बबूला है.अब सबसे पहले बात करते हैं सपा की.
प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक घोटाले के आरोप में उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी को गिरफ्तार किया. इस मामले में सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए बिना नाम लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर इशारा किया है. सपा चीफ ने एक तस्वीर शेयर की है.
अखिलेश यादव ने विनय शंकर तिवारी के भाई भीष्म शंकर तिवारी और अयोध्या में सपा नेता पवन पांडेय के साथ तस्वीर शेयर की. तस्वीर शेयर करते हुए अखिलेश ने लिखा- कुछ लोगों को ‘हाता नहीं भाता’.
माना जा रहा है कि अखिलेश इस प्रतिक्रिया के जरिए साल 2022 के विधानसभा चुनाव वाली रणनीति को दोहराना चाहते हैं. उस चुनाव में विपक्ष, खास तौर से सपा ने यह दावा किया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहा है.
अखिलेश की इस पोस्ट पर भीष्म शंकर तिवारी ने भी प्रतिक्रिया दी. सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर भीष्म शंकर तिवारी ने लिखा- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष , अखिलेश यादव को उनके समर्थन के लिए सहृदय आभार। जय परशुराम !
सपा के साथ-साथ कांग्रेस भी इसी राह पर चल रही है. यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय ने गुजरात में आदर्श उपाध्याय, सनीराम और पूजा चौहान का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि कहा कि बस्ती में पुलिस की मार से आदर्श उपाध्याय की हत्या कर दी गई. पुलिस ने मारकर आजमगढ़ में एक दलित सनीराम की हत्या कर दी और बलिया में पराकाष्ठा हो गई. पूजा चौहान नाम की बिटिया को मार दिया और वहां की सरकार और वहां का नुमाइंदा कहता है कि वह आत्महत्या है आत्महत्या नहीं ये हत्याएं हो रही हैं. बता दें अजय राय, बस्ती, बलिया और आजमगढ़, तीनों जगह गए थे और न्याय की मांग की थी.
अब सपा और कांग्रेस की रणनीति है कि वह आगामी चुनाव से पहले ब्राह्मणों, दलितों और पिछड़ों को अपने पाले में करने के लिए राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी सरकार पर विभिन्न मामलों की आड़ में निशाना साधे. यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा और कांग्रेस की यह रणनीति साल 2027 के चुनाव में कितना काम आती है.
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